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गाय की सामान्य जानकारी

"Cow Notes , गाय की सामान्य जानकारी , पशु परिचर Notes"


गाय की सामान्य जानकारी

अन्य नाम:

  • जेबु केटल: यूरोपीय देशों में
  • टी कप काऊ: USA में

वैज्ञानिक नाम:

  • भारतीय गाय: बॉस इंडिकस
  • विदेशी गाय: बॉस टारटस

विशेषताएँ:

  • कुबड़: भारतीय गायों में पाया जाता है, विदेशी गायों में नहीं।
  • त्वचा: भारतीय गायों की त्वचा लटकती है, विदेशी गायों की नहीं।

सामान्य जानकारी:

  • कुल: बोवीडी
  • गुणसूत्र की संख्या: 60
  • समूह: झुंड (heard)
  • मांस: बीफ
  • नवजात बछड़े का मांस: वील
  • आवास: शेड
  • प्रसव क्रिया: काविंग

प्रजनन जानकारी:

  • प्रथम ब्यात आयु: संकर: 18-24 माह, विदेशी: 24-30 माह, देसी: 30-40 माह
  • गर्भकाल: 280-282 दिन

स्वास्थ्य जानकारी:

  • तापमान निरीक्षण का स्थान: गुर्द्द
  • सामान्य नाड़ी गति: 40-50 प्रति मिनट
  • शरीर का सामान्य तापमान: 38.5°C (101°F)

नस्लों की जानकारी:

  • राष्ट्रीय अनुवांशिकी अनुसंधान संस्थान ब्यूरो (NBAGR): करनाल, हरियाणा
  • भारत में कुल नस्लें: 44
  • विश्व में भारत का स्थान: दूसरा, प्रथम: ब्राजील

नस्लों की विशेषताएँ:

  • सबसे भारी नस्ल: कोंकरेज (देशी), होलिस्टन फ्रीजियन (विदेशी)
  • डेयरी पशु में सर्वाधिक सुंदर नस्ल: आयर-शायर
  • सर्वाधिक वसा + लैक्टोज: साहिवाल (देसी), जर्सी (विदेशी)
  • न्यूनतम वसा और लैक्टोज: होल्सटीन फ्रीजियन में
  • सवाई चाल के लिए प्रसिद्ध नस्ल: कोंकरेज
  • तेज चलने के लिए प्रसिद्ध नस्ल: नागौरी
  • वेचुर नस्ल: केरल में कम ऊंचाई एवं छोटे आकार की नस्ल

प्रजनन केंद्र:

  • राजस्थान में गौ वंश नस्ल सुधार प्रजनन केंद्र: बस्सी (जयपुर ग्रामीण)
  • जर्सी गाय का प्रजनन केंद्र: बस्सी (जयपुर ग्रामीण)
  • मेवाती गाय का प्रजनन केंद्र: अलवर
  • हरियाणवी गाय का प्रजनन केंद्र: भरतपुर
  • थारपारकर गाय का प्रजनन केंद्र: सूरतगढ़ (गंगानगर)
  • राठी गाय का प्रजनन केंद्र: नोहर (हनुमानगढ़)
  • गिर गाय का प्रजनन केंद्र: झालावाड़ (सर्वाधिक अजमेर में पाई जाती है)

अनुसंधान संस्थान:

  • राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान: करनाल, हरियाणा
  • मुख्य विकसित नस्लें:
  • करण फ्रिज: थारपारकर × होलिस्टिन फ्रीजियन (नर)
  • करण स्विस: साहिवाल × ब्राउन स्विस (नर)
  • फ्रीज वाल नस्ल: होलिस्टिन फ्रीजियन × साहिवाल (नर)
  • सुनदिनी नस्ल: ब्राउन स्विस × देशी नर (1963 में केरल से विकसित)

उपयोगिता के आधार पर नस्लों का वर्गीकरण:

A. दुधारू नस्लें:

  • 1.सिंधी 2.साहिवाल 3.गिर 4.राठी 5.देवानी

ट्रिक: सीसा गिरा दे

B. भारवाही नस्लें:

  • 1.मालवी 2.नागौरी 3.अमृत महल 4.खिलारी 5.हल्लीकर 6.बच्चोंर 7.बरगुर

ट्रिक: माना अखिल

C. द्वी-प्रयोजनी नस्लें:

  • मेवाती
  • थारपारकर
  • हरियाणवी
  • कोंकरेज
  • कृष्णा घाटी
  • अंगोल
  • गाबलाब

गाय की नस्लों की विशेषताएँ:

1. साहिवाल गाय

  • उत्पत्ति स्थान: मोंटगोमरी (पाकिस्तान)
  • अन्य नाम: लोला, मोजगुमरी, मुल्तानी, तेली
  • विशेषताएँ: कत्थई एवं हल्का लाल रंग, ढीली त्वचा, छोटे पैर, चौड़ा सिर, सर्वाधिक दूध देने वाली

2. गिर गाय

  • उत्पत्ति स्थान: काठियावाड़ वन क्षेत्र (गुजरात)
  • अन्य नाम: रेंडी, अजमेरी, काठियावाड़ी
  • विशेषताएँ: चितकबरा रंग, अर्ध चंद्राकार सींग, चौड़ा सिर

3. राठी गाय

  • उत्पत्ति स्थान: राजस्थान का पश्चिमी क्षेत्र
  • अन्य नाम: राजस्थान की कामधेनु, गरीब की गाय
  • विशेषताएँ: ईंट के समान रंग, कम्बल लटका हुआ

4. सिंधी गाय

  • उत्पत्ति स्थान: कराची
  • अन्य नाम: लाल कराची, माही

5. मालवी गाय

  • उत्पत्ति स्थान: मालवा (मध्य प्रदेश)
  • अन्य नाम: मन्थिनि, माधोपुरी
  • विशेषताएँ: लोहासा धूसर या हल्का सफेद रंग, खड़े एवं छोटे कान, बौने बेल

6. नागौरी नस्ल

  • उत्पत्ति स्थान: नागौर, जोधपुर
  • विशेषताएँ: सफेद रंग, सीधी पीठ, मजबूत गर्दन

7. थारपारकर नस्ल

  • उत्पत्ति स्थान: सिंध (पाकिस्तान)
  • अन्य नाम: थोरी, सफेद सिंधी, ग्रे सिंधी
  • विशेषताएँ: हल्का सफेद, धूसर ग्रे रंग, तापमान सहनशील, जल्दी ब्याने वाली नस्ल

8. हरियाणवी नस्ल

  • उत्पत्ति स्थान: रोहतक और हिसार
  • विशेषताएँ: छोटे सीधे कान, अंदर की ओर मुड़े सिंग, घुटनों तक लंबी पूंछ

9. मेवाती नस्ल

  • उत्पत्ति स्थान: मेवात क्षेत्र, हरियाणा
  • अन्य नाम: कोसी
  • विशेषताएँ: मध्यम एवं पीछे की ओर मुड़े सिंग

10. कोंकरेज नस्ल

  • उत्पत्ति स्थान: गुजरात का कच्छ क्षेत्र
  • अन्य नाम: वरड, साँचोरी, बनियार
  • विशेषताएँ: सिल्वर ग्रे रंग, पिछले छोटे थन और बड़े आगे वाले थन, तश्तरीनुमा सिर

11. नारी नस्ल

  • उत्पत्ति स्थान: सिरोही क्षेत्र
  • विशेषताएँ: लंबे एवं नुकीले सिंग, झुंड में जानवरों का सामना करने वाली

12. रथ नस्ल

  • उत्पत्ति स्थान: अलवर क्षेत्र
  • विशेषताएँ: इस नस्ल के पशु कृषि कार्यों और परिवहन के लिए अच्छे माने जाते हैं
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