पशु प्रजनन बंधियाकरण कृत्रिम गर्भाधान
"animal breeding sterilization artificial insemination"
पशु प्रजनन प्रबंधन
प्रजनन विधियाँ
अंत प्रजनन
जब एक ही नस्ल के पशुओं के बीच प्रजनन होता है। ऐसे प्रजनन में एक ही नस्ल के पशुओं के बीच 4 से 6 पीढ़ियों तक संगम कराया जाता है।
बहि प्रजनन
इस प्रकार के पशु प्रजनन में उन पशुओं से संगम कराया जाता है जिनका आपस में कोई संबंध नहीं होता है।
बहि संकरण
इस विधि में ऐसे पशुओं के बीच संगम कराया जाता है जिनकी 4 से 6 पीढ़ियों तक नर तथा मादा दोनों तरफ की उभयवन्शावली नहीं होनी चाहिए।
संकरण
इस प्रकार के प्रजनन में श्रेष्ठ नस्ल के नर तथा मादा के बीच संगम कराया जाता है।
कृत्रिम गर्भाधान
विश्व में प्रथम कृत्रिम गर्भाधान 1777 में लाफार्ज स्टॉलनलोजी ने किया।
क्लोनिंग
बिना नर मादा के (असेक्सुअल) प्रजनन होता है जहाँ अंड कोशिका में DNA को प्रतिरोपित कर दिया जाता है।
वीर्य का संरक्षण
वीर्य को तरल नाइट्रोजन में (-196 ℃) या कार्बन डाईऑक्साइड (-79 ℃) तापमान पर संरक्षित किया जाता है।
प्रसव
गर्भाशय से बच्चे का बाहर आना प्रसव कहलाता है।
अन्य महत्वपूर्ण शब्द
- सुखाना: पशु ब्याने से 60 दिन पहले दूध निकालना बंद कर देते हैं।
- फ्लसिंग: गर्भित पशुओं को अलग से सांद्रित पदार्थ खिलाना।
- गर्भकाल: मादा के गर्भ में होने की जांच गर्भित होने के 02 माह बाद करते हैं।
पशु गर्भकाल अवधि
पशु का नाम | गर्भकाल अवधि |
---|---|
गाय | 9 माह 9 दिन |
भैंस | 10 माह 10 दिन |
बकरी | 151 दिन |
भेड़ | 147 दिन |
ऊंट | 395 दिन |
मुर्गी | 21 दिन |
सुअर | 114 – 120 दिन |
घोड़ी | 340 दिन |
हाथी | 640 दिन |
मदचक्र अवधि
पशु का नाम | मदचक्र अवधि |
---|---|
गाय | 21 दिन |
भैंस | 21 दिन |
बकरी | 21 दिन |
भेड़ | 16.5 दिन |
ऊंट | 14 दिन |
सूअर | 16 दिन |
पशु के गर्भित कराने का सर्वोच्च समय मद में आने के 12 से 18 घंटे के बीच का होता है। गाय, भैंस मुख्यतः ब्याने के 2 से 3 महीनों के बाद पुनः मद में आ जाती है।
कृत्रिम गर्भाधान की विधियां
रेक्टोवेजाइनल / गुदा योनि विधि: गाय व भैंस में काम में ली जाती है।
वेजाइनल स्पेकुलम: भेड़ व बकरी में काम ली जाती है।
NOTE: कृत्रिम गर्भाधान में सीमेन को मध्य गर्भाशय ग्रीवा में छोड़ा जाता है।
पशु प्रजनन संबंधी जानकारी
पशु का नाम | यौवनावस्था |
---|---|
भारतीय गाय | 24 माह |
संकर गाय | 18 माह |
भैंस | 30 माह |
बकरी | 12 माह |
भेड़ | 10 माह |
ऊंटनी | 3.5 से 4 वर्ष |
NOTE: यौवनावस्था को प्यूबर्टी / परिपक्वता भी कहते हैं।
मदकाल
इस अवस्था में मादा पशु संभोग करने की इच्छुक होती है, इसे मदकाल, ताव, गर्मी व पाले/पाली में आना कहते हैं।
पशु का नाम | मदकाल अवधि |
---|---|
गाय | 10-24 घंटे |
भैंस | 12-36 घंटे |
बकरी | 1-2 दिन |
भेड़ | 1 से 1.5 दिन |
ऊंटनी | 24 से 48 घंटे |
सूअर | 1 से 3 दिन |
गाय व भेंस में मदकाल प्रारंभ होने के लगभग 12 घंटे बाद गर्भित करवाना चाहिए। गाय व भैंस को ब्याने के लगभग 60 से 90 दिन के भीतर गर्भधारण करवाना उचित रहता है।
गर्भधारण के 60 दिन पश्चात रेक्टम पाल्पेशन विधि के माध्यम से गर्भधारण की जांच की जाती है।
बंध्याकरण
मांस उत्पादन, शांत स्वभाव तथा आसानी से नियंत्रित करने के लिए किया जाता है।
बुडिन्जोकास्ट्रेटर द्वारा
इस यंत्र की सहायता से पशुओ को बँधीयाकरण किया जाता है, इस विधि को रक्त रहित कस्ट्रेशन भी कहते हैं।
एलेस्ट्रेटर विधि
इस विधि में अण्डकोष पर रबड़ का सख्त छल्ला चढ़ा दिया जाता है।
चीरा लगाकर वृषण निकालना
यह कार्य पशु चिकित्सक की देखरेख में किया जाता है।
◆ वेसेक्टोमी
नर बंधियाकृत पशु को वेसेक्टोमी कहते हैं।
पशु का नाम | बंधियाकरण के लिए उत्तम समय (मांस हेतु) | बंधियाकृत नर |
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गाय | 6 से 12 माह | स्टीर |
भैंस | 6 से 12 माह | स्टीर |
भेड़ | 6 माह | वीडर |
बकरी | 6 माह | बक |
ऊंट | 1.5 से 2 वर्ष | स्टीर |
सुअर | 4 से 6 सप्ताह | स्टेग / हॉग |
मुर्गा | 8 से 10 सप्ताह | केपन |
NOTE: गाय, भैंस के बैल हेतु 1.5 से 2 वर्ष में बंधियाकरण करते हैं, बंधियाकृत नर बुलक कहलाता है।
सींग रोधन की विधियां
सिंग की रासायनिक विधि
यह उतम विधि है, इसमें KOH (कास्टिक पोटाश) व NaOh (कास्टिक सोडा) को उपयोग में लेते हैं। यह वैज्ञानिक विधि है, इसमें कास्टिक छड़ को सिंग कलिका पर रगड़ते हैं। यह सामान्यतः 7 से 15 दिन की आयु के पशुओ में करते हैं।
विद्युत डि हार्डर विधि
इसका तापमान 1000 °F रखा जाता है, जिससे मात्र 10 सेकेण्ड में बछड़े को डि होर्निंग किया जाता है। यह बछड़ो हेतु सुरक्षित है, यह भारत में कम प्रचलित है।
आरी द्वारा
अ धिक उम्र के पशुओ में किया जाता है।