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दूध विज्ञान || Milk science

दूध विज्ञान

दूध / Milk

स्वस्थ मादा पशुओ से जिनका पालन पोषण सही ढंग से किया गया हो, वत्स जनन के 15 दिन पूर्व ओर 15 दिन पश्चात जो स्वच्छ एव ताजा लेक्टिक क्षरण प्राप्त होता है, उसे दूध कहते है।

पूर्ण दूध

उसे कहते है जिसमे न्यूनतम वसा 3.25% व वसा रहित ठोस पदार्थ (SNF) 8.5 % हो।

दूध के अवयव

1. पानी

दूध में पानी की मात्रा औसतन 80-89% तक होती है। यह मात्रा पशु की जाति एव नस्ल के अनुसार अलग अलग हो सकती है जैसे भेड़ 80.5%, भैंस 82.2% व गाय 87.1% दूध में पानी की मात्रा पाई जाती है।

पानी दूध में उपस्थित अवयवों का घोतक होता है जिसमे कुछ अवयव घुलनशील अवस्था एव कुछ निलंबन अवस्था मे रहते है।

2. प्रोटीन

दूध में मुख्यतः तीन प्रकार की प्रोटीन (केसिन, लेक्टोएल्ब्युमिन तथा लेक्टोग्लोबुलीन) पाई जाती है। दूध प्रोटीन मे 80% केसिन होती है जो दूध के अंदर पायस के रूप में पाई जाती है।

दूध का सफेद रंग केसिन के कारण होता है। दूध में प्रोटीन की मात्रा भेड़ 5.2%, भैंस 3.6%, गाय 3.5% सामान्यतः पाई जाती है।

3. वसा

वसा दूध का मुख्य अवयव है इसी के द्वारा दूध का मूल्य निर्धारण किया जाता है। यह दूध में सबसे अधिक घटने बढ़ने वाला अवयव है।

1 ग्राम दुग्ध वसा मे 9.3% कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है। दूध में वसा निलंबन अवस्था मे गोलिकाओ के रूप में पाई जाती है अतः यह आसानी से दूध से अलग की जा सकती है।

औसतन सर्वाधिक वसा भेड़ के दूध में 7.9% पाई जाती है। औसतन वसा भैंस 7.3%, गाय 3.8%, बकरी 4 .2%।

4. दुग्धम / LACTOSE

लेक्टोज़ दूध का मुख्य कार्बोहाइड्रेट है अतः ऊर्जा का साधन है। एक ग्राम लेक्टोज से 4.0 कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है। यह दूध के अंदर घुलनशील अवस्था मे पाया जाता है।

यह दूध में सबसे कम घटने बढ़ने वाला अवयव है। दूध में मीठापन लेक्टोज के कारण ही होता है। सर्वाधिक लेक्टोज मानव के दूध में होता है बकरी 4.2% लेक्टोज पाया जाता है।

5. खनिज लवण

दूध में अधिकतर खनिज लवण उपस्थित रहते है। दूध में कैल्शियम एव फास्फोरस प्राप्त करने का अच्छा स्त्रोत है। दूध में खनिज लवण की मात्रा 0.70 से 0.90% तक होती है। दूध में लोहा (आयरन) तत्व की मात्रा न्यून पाई जाती है।

6. विटामिन

दूध में उपस्थित जल में घुलनशील विटामिन विटामिन B एव विटामिन C होते है। दूध में उपस्थित वसा मे घुलनशील विटामिन विटामिन A D E K होते है।

दूध विटामिन A का अच्छा स्त्रोत व विटामिन C का कमजोर स्त्रोत होता है। ऊंटनी का दूध विटामिन C व इंसुलिन का अच्छा स्त्रोत है। भेड़ का दूध विटामिन C का सर्वोत्तम स्त्रोत है।

7. किण्वक

दूध में मुख्यतः फास्फेटेज, एमाइलेज, प्रोक्सिडेज, प्रोटीएजफज, केटेलेज एव जेन्थिल किण्वक पाये जाते है। यह दूध में कार्बनिक उत्प्रेरक की भांति कार्य करते है।

दूध का रासायनिक संगठन

स्तनधारी पानी % ठोस पदार्थ वसा % प्रोटीन % लेक्टोज % खनिज लवण % SNF %
गाय 86.61 13.19 4.14 3.58 4.96 0.71 9.25
भैंस 82.76 17.24 7.38 3.60 5.48 0.78 9. 86
बकरी 87.00 13.00 4.25 3.52 4.27 0.86 7.75
भेड़ 80.5 19.29 7.90 5.23 4.81 0.90 11.39
मनुष्य 87.43 12.57 3.75 1.63 6.98 0.21 8.82

दूध में भौतिक गुण

दूध का रंग

सफेद (केसिन प्रोटीन के कारण), गाय के दूध का रंग हल्का पीलापन लिए हुए होता है। दूध में ये पीलापन केरोटीन के कारण होता है।

दूध का स्वाद

हल्का मीठा (दुग्धम/लेक्टोज के कारण)

दूध का pH मान

6.4-6.7

दूध में अम्लता प्रतिशत

0.12-0.16 (दूध की अम्लता 0.2% भी होती पर उबाला जाये तो दूध फट जाता है)

दूध का आपेक्षिक घनत्व

1.028-1.032 के मध्य होता है

  • गाय के दूध का आपेक्षिक घनत्व: 1.028-1.30
  • भैंस के दूध का आपेक्षिक घनत्व: 1.032
  • खीस का आपेक्षिक घनत्व: 1.04-1.08
  • वसा का आपेक्षिक घनत्व: 0.93
  • प्रोटीन का आपेक्षिक घनत्व: 1.34
  • लेक्टोज़ का आपेक्षिक घनत्व: 1.66

दूध की वर्तनांक

1.344-1.348

दूध की विद्युत संचालकता

0.005 म्होज

दूध का विशिष्ट ऊष्मा मान

3.97

दूध का गाढ़ापन

1.5-2.0 सेंटीपाइज

दूध का उबाल बिंदु

101.5℃

दूध का हिमांक बिंदु

-0.52 से -0.56 ℃

दूध का वैधानिक मान (Standard Value)

खाद्य अप मिश्रण निवारक अधिनियम 1954 के अनुसार विभिन्न वर्गों के दूध का मानक भारत मे निम्नलिखित है:

दूध वसा (न्यूनतम) SNF (न्यूनतम)
गाय 3.5% 8.5%
भैंस 6% 9%
भेड़ 7.5% 9%
बकरी 3.5% 9%
डबल टॉड 1.5% 9%
टॉड 3% 8.5%
रिकमाइंड 3% 8.5%
स्ट्रेण्डर्ड 4.5% 8.5%
सप्रेटा 0.5% 8.7%
ऊंटनी 5% 7%

दूध की गुणवत्ता एव परीक्षण

1. ज्ञानेन्द्रियों द्वारा

आंखों द्वारा देखकर, नाक द्वारा सूंघकर तथा चखकर मुख्य रूप से 3 परीक्षण किए जाते हैं: 1. सुवास (flavour) 2. स्वाद (taste) 3. दर्शन। जिससे सामान्यतः मिलावट व ताजापन का पता लगाया जाता है।

2. उबालने पर फटने का परीक्षण (COB टेस्ट)

C.O.B. टेस्ट के लिए परखनली में 15 मिली दूध लेकर गर्म करते हैं। गर्म करने पर दूध फट जाए तो समझना चाहिए दूध ताजा नहीं है। सामान्य दूध की अम्लता 0.12% से 0.16% होती है। यह दूध में उपस्थित CO2 की मात्रा, केसिन, एल्ब्यूमिन तथा फास्फेट के कारण होती है। इसे प्राकृतिक अम्लता कहते हैं। इसके कारण दूध नहीं फटता है।

विकसित अम्लता – स्ट्रेप्टोकोकस व लैक्टोबैसिलस जीवाणुओं द्वारा दूध में उपस्थित दुग्धम (लेक्टोज) को लेक्टिक अमल में बदल दिया जाता है जिससे दूध में अम्लता बढ़ जाती है। अतः दूध विकसित अम्लता के कारण ही दूध फटता है।

3. वसा परीक्षण

दूध का मूल्य निर्धारण हेतु वसा परीक्षण अतिआवश्यक है। वसा परीक्षण ब्यूटाइरोमीटर द्वारा ज्ञात किया जाता है, जिसके लिए गरबर विधि का प्रयोग करते हैं।

ब्यूटाइरोमीटर में क्रमशः सल्फ्यूरिक अमल 10 ml, दूध 10.75 मिली व एमाइल एल्कोहल 1.0 मिली डाला जाता है, जिसे 1100 राउंड/मिनट के लिए गरबर द्वारा घुमाते हैं तथा प्राप्त पाठ्यांक नोट कर लिया जाता है।

लैक्टोमीटर द्वारा दूध का आपेक्षिक घनत्व ज्ञात किया जाता है। सामान्य दूध का आपेक्षिक घनत्व 1.030 होता है। ताजा दूध में CO2 की मात्रा अधिक होने के कारण दूध का आपेक्षिक घनत्व दूध निकालने के 1 घंटे बाद ही ज्ञात करना चाहिए। दूध में सप्रेटा दूध मिलाने पर दूध का आपेक्षिक घनत्व बढ़ जाता है।

हंसा परीक्षण

भैंस के दूध में पानी मिलाकर गाय का कहकर बेचने पर यह परीक्षण करते हैं।

आयोडीन परीक्षण

दूध में स्टॉर्च की मात्रा ज्ञात करने के लिए।

नाइट्रेट परीक्षण

दूध में वर्षा जल की मात्रा ज्ञात करने के लिए।

मेसेटेड घोल परीक्षण

थनैला (मेसेटेटीस) रोगजनित पशु के दूध की पहचान के लिए ये परीक्षण प्रत्येक महीने में किया जाता है।

दूध दोहन / milk tapping – दूध विज्ञान

दूध दोहन की सम्पूर्ण प्रक्रिया पशु के बांयी ओर बैठकर 5 से 7 मिनट में पूर्ण करते हैं। दूध को पाश्चुरिकरन करने के तुरंत बाद 10℃ तापमान पर ठंडा किया जाता है।

दूध को निर्ज़मीकृत करना

इस प्रक्रिया से दूध में उपस्थित हानिकारक तथा लाभदायक जीवाणुओं को उनके बीजाणुओं सहित नष्ट कर दिया जाता है। दूध को नॉनस्टिल बर्तन में 100℃ तापमान पर 30 मिनट तक रखकर निर्ज़मीकृत किया जाता है। निर्ज़मीकृत दूध से दूध नहीं जमता, यह काफी दिनों तक सुरक्षित रहता है।

अवशीतन केंद्र

इसमें दूध को 4℃ तापमान पर 10-12 घंटे के लिए रखा जाता है। इसके बाद इंसुलेटेड टैंकरों द्वारा बड़े संयंत्रों तक पहुंचाया जाता है। B.M.C. – Bulk Milk Cooler यह अवशीतन के रूप में उपयोग लिए जा रहे हैं।

दूध दोहन की विधियां

चुटकी विधि – इस विधि में दूध दोहन में अधिक समय लगता है। प्रायः छोटे पशुओं (भेड़, बकरी) में इस विधि से दुग्ध दोहन किया जाता है।

पूर्ण हस्त विधि – दुग्ध दोहन की सर्वोत्तम विधि है। इस विधि से दूध दोहन में कम समय लगता है। इसे लम्बे थनों वाले पशुओं में काम लेते हैं।

अँगूठा विधि – दोषपूर्ण विधि है। इससे थनों में गांठे व घाव होने की संभावना रहती है। इस विधि से दूध दोहन से पशु को परेशानी होती है।

मशीनों द्वारा – मशीनों का प्रयोग व्यवसायिक स्तर पर डेयरी फार्मों में अधिक दूध देने वाले पशुओं के लिए किया जाता है।

दूध तथा खीस के संगठन में अंतर

अवयव दूध खीस
आपेक्षिक घनत्व 1.028-1.032% 1.040-1.080%
खनिज लवण 0.7-0.9% 1.10%
प्राकृतिक अम्लता 0.12-0.18% 0.2-0.6%
पानी की मात्रा 82-87% 71-75%
लेक्टोज 4.2% 2.1%
प्रोटीन 3.5% 17.5%
जमाव बिंदु -0.54 ℃ -0.60 ℃

दही

सुगन्ध – डाईएसिरिल के कारण। दही एक सामान्य किण्वित दूध पदार्थ है। दह ी बनाने के लिए उपयुक्त तापमान 70- 72 °F।

दही, दूध को उबालकर 21 ℃ तक ठंडा करके उसमें उचित मात्रा में जामन (लेक्टिक, एसिड, बैक्टीरिया) डालकर उचित तापमान पर 8 से 10 घंटे तक रखकर प्राप्त किया जाता है।

दही में पानी एव लेक्टोज़ की मात्रा सामान्य दूध की अपेक्षा कुछ कम होती है। सर्दियों में दही जमाने के लिए 2% जामन डालकर दूध को 12 से 14 घंटे रखते हैं। गर्मियों में दही जमाने के लिए 1% जामन डालकर दूध को 8 से 10 घंटे रखते हैं।

दही का औसत संघटन – पानी 85- 88%, वसा 5.0 – 8.0%, लेक्टोज 4.6 – 5.0%, प्रोटीन 3.4%, लेक्टिक अमल 0.6-1.10%, केल्शियम 0.12- 0.14%, फास्फोरस 0.09 – 0.11%।

मीठे दही में अम्लता – 0.60 – 90%। दही बनाने के लिए – स्ट्रेप्टोकोकस लेक्टिंस, लैक्टोबैसिलस एसीडोफिल्स, लेक्टोथेसीलस उत्तरदायी हैं।

घी

घी की मुख्य विशेषता 21℃ तापमान पर तरल एव अर्द्धतरल अवस्था में रहता है। घी की वसा का निर्माण ट्राइग्लिसराइड्स वसीय अम्लों द्वारा होता है, जो एक असंतृप्त (जमने वाली) वसा है। घी में वसा की मात्रा 99% (स्वतंत्र वसा 0.5%, घी में नमी की मात्रा 0.5%)।

माखन से घी प्राप्त करने के लिए तापमान 110- 120 ℃ है। मक्खन में वसा 80%। क्रीम से घी प्राप्त करने के लिए तापमान 110℃। घी को धूप में रखने पर दुर्गंध पैदा हो जाती है। घी में पानी रहने पर मछली जैसी दुर्गंध आती है।

घी के मानक – रिचर्ड माईनस मान 26-28%, पोलिसेक मान 1.5 – 2.5%, साबुनीकरण मान (सफोनिफिकनस) 222-226%, मक्खन अपवर्तनांक 40.5- 42.5%, औलिक अमल 1.5%, क्रिसनर मान 20-25%, स्वतंत्र वसीय मान 2.8%।

क्रीम

क्रीम दूध का वह भाग है जिसमें वसा की मात्रा 18% से अधिक होती है। उपयुक्त तापमान 32-37℃। दूध से क्रीम निकालने के लिए सेपरेटर यंत्र का प्रयोग किया जाता है, जो अपकेन्द्रीय बल पर कार्य करता है।

सेपरेटर यंत्र का बाउल भाग मशीन का हृदय कहलाता है। क्रीम स्क्रू सेपरेटर यंत्र पर लगा होता है, जो क्रीम को पतली या गाढी करने में सहायक है।

वसा प्रतिशत के आधार पर क्रीम के तीन प्रकार – पतली क्रीम (टेबिल क्रीम) वसा 18-25%, मध्यम (व्हीपिंग) क्रीम वसा 25-45%, गाढी क्रीम वसा 45% से अधिक।

दूध से क्रीम को पृथक्करण की 02 विधियों प्रचलित हैं – गुरुत्वाकर्षण विधि और अपकेन्द्रीय विधि।

पनीर / छेना

गर्म दूध को अम्ल (साइट्रिक अम्ल / साइट्रिक फलों के रस) द्वारा फाड़कर तैयार किया जाता है। उत्तम किस्म का छैना प्राप्त करने के लिए गाय का दूध का उपयोग में लिया जाता है।

सामान्यतः गाय के दूध से 14.0% एवं भैंस के दूध से 20% छैना प्राप्त होता है। खोवा – भैंस के दूध का अच्छा माना जाता है, वसा 37.1% होती है।

छेना का रासायनिक संघटन – गाय का छेना – पानी 53.38%, वसा 28.80%, प्रोटीन 17.40%, लेक्टोज 1.75%, खनिज लवण 2.35%। भैंस का छेना – पानी 51.60%, वसा 29.60%, प्रोटीन 14.40%, लेक्टोज 2.30%, खनिज लवण 1.98%।

दूध शाला के बर्तनों की सफाई – दूध विज्ञान

बर्तनों के बार-बार उपयोग में लेने से दूध एक धातु के रूप में जमा हो जाता है, जिसे हटाने के लिए बर्तनों की सफाई की जाती है। सफाई का मुख्य उद्देश्य – सूक्ष्म जीवों को नष्ट करना।

सफाई की विधियां – सुखी विधि, वैज्ञानिक विधि।

दूध शाला के बर्तनों की सफाई के लिए निम्नलिखित धावन काम में लेते हैं – क्षारीय धावन, अम्लीय धावन, जटिल फास्फेट पदार्थों का प्रयोग।

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